हैदराबाद: ख्वाहिशें इंसान को मंजिल की ओर ले जाती हैं, लेकिन ऐसी ख्याली हसरतों को पूरा करने का रास्ता गलत हो कोई भी मंजिल से भटक सकता है. तेलंगाना के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो स्विट्जरलैंड जाने की तमन्ना रखता था और उसने पाकिस्तान के बॉर्डर के रास्ते न जाने कैसे स्विट्जरलैंड जाने की ठान ली. पाकिस्तान सीमा में उसे पकड़ लिया गया और वो स्विट्जरलैंड की खूबसूरत वादियों की जगह पाकिस्तानी जेल की कालकोठरी में पहुंच गया. चार साल जेल में बिताने के बाद उसे सोमवार को अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों ने भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया. प्रशांत आखिरकार आज अपने घर पहुंचा और परिवार वालों से मिला. भारतीय सीमा में प्रवेश करने के बाद उसे साइबराबाद पुलिस कमिश्नर की पुलिस टीम को सौंपा गया जो उसे तेलंगाना के माढापुर लेकर आए. चार साल पहले 29 अप्रैल 2017 को उसके परिवार ने प्रशांत के गुमशुदा होने की रिपोर्ट लिखाई थी. एक बयान के मुताबिक, तेलंगाना सरकार के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से लगातार संपर्क साधने के कारण गुमशुदा युवक को भारतीय अधिकारियों को सौंपा गया लेकिन इस कहानी में सबसे चौंकाने वाली बात थी की प्रशांत स्विट्जरलैंड (Switzerland) जाना चाहता था, लेकिन उसके पास इसके लिए पैसे नहीं थे. लिहाजा उसने जमीनी रास्ते से यूरोप जाने की ठान ली. प्रशांत 11 अप्रैल 2017 को घर से निकला और बीकानेर की ट्रेन पकड़ी. वहां से वह भारत-पाकिस्तान सीमा पर तारों की बाड़ फांदकर पाकिस्तान पहुंच गया उसके गुमशुदा हो जाने पर परिवार वालों ने पुलिस से संपर्क साधा. इसके कुछ दिनों बाद जानकारी मिली की पाकिस्तान में उसे पकड़ लिया गया है. इसके बाद तेलंगाना सरकार ने उसकी रिहाई के लिए कवायद शुरू की. उसके परिजनों ने प्रशांत की रिहाई के लिए केंद्र और तेलंगाना सरकार को धन्यवाद दिया है. प्रशांत ने कहा कि जेल में रहकर उसने किताबें पढ़ना शुरू कीं. प्रशांत का कहना है कि आने वाले वक्त में नौकरी के लिए इंटरव्यू देगा, ताकि दोबारा नए सिरे से जिंदगी शुरू की जा सके.
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